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संयुक्त राष्ट्र ने भारत की गिनती पानी की कमी वाले देशों में की है, जहां प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 1,545 घनमीट रही है। गांवों, विशेष रूप से राजस्थान में घरों और खेती के कार्यों के लिए पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ता है, जिसका खामियाजा किसानों को फसल के मौसम में भुगतना पड़ता है।

कोरोना महामारी के कारण भी पानी की मांग बढ़ रही है, क्योंकि इससे बचाव के लिए हाथ धोना और रोजाना नहाना ज़रूरी है। इसी के मद्देनज़र सौर्य ऊर्जा ने स्थानीय निवासियों के घरों और सरकारी स्कूलों में पानी की टंकियों और जल संचयन प्रणालियों (वाटर स्टोरेज सिस्टम) का निर्माण कर के जल भंडारण और उपलब्धता बढ़ाने का कार्य किया है। सौर्य ऊर्जा ने एक प्याऊ का भी निर्माण किया है और साथ ही कंपनी ने स्थानीयजल निकायों को सुधारने और इनके उचित रखरखाव की ज़िम्मेदारी भी निभाई है।

पानी की टंकियों, जल-संचयन प्रणाली (वाटर स्टोरेज सिस्टम) और प्याऊ निर्माण

कंपनी द्वारा किए जा रहे प्रयासों से पानी की गुणवत्ता और जल भंडारण सुविधाओं का विस्तार हुआ है, साथ ही लोगों में स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति जागरूकता भी पैदा हुई।

कंपनी द्वारा इस क्षेत्र में ये विभिन्न काम किए गए:

  • 35 पानी की टंकियों का निर्माण किया गया है जिससे क्षेत्र के 250 से अधिक लोगों को लाभ हुआ है
  • विभिन्न ढाणियों में 46 रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए गए हैं ताकि बारिश के पानी का पूरा उपयोग किया जा सके
  • स्कूल जाने वाले बच्चों की पानी की समस्या को दूर करते हुए, स्थानीय स्कूलों में 9 रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित किए गए हैं
  • स्थानीय स्कूलों में 5 टैंकों की मरम्मत की गई है ताकि मौजूदा संसाधनों का समुचित उपयोग हो सके
  • कंपनी ने स्थानीय निवासियों को स्वस्थ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए आरओ ट्रीटमेंट के साथ एक प्याऊ बनाई गई है और एक वाटर कूलर भी लगाया गया है।

पारंपरिक जल निकायों का विकास:

सौर्य ऊर्जा ने इस क्षेत्र में निम्न परियोजनाओं के लिए एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन (IWRM) योजना विकसित की है

क) पशुधन के लिए पीने का पानी

ग्राम पंचायत के पशुओं को स्वस्थ और मज़बूत बनाए रखने के लिए उनके पीने के पानी की मांग को पूरा करना बेहद आवश्यक है, क्योंकि गाँव के लोगों का जीवन व आर्थिक स्थिति इन पशुओं पर बहुत निर्भर करती है। पशुओं के पीने के पानी की कमी को दूर करने के लिए सौर्य ऊर्जा द्वारा निम्न कदम उठाए जा रहे हैं:

  • पशुओं के इकट्ठा होने वाली बहुत सी जगहों पर खेली/जल कुंड का निर्माण
  • जल कुंडों में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पाइपलाइन कनेक्शन
  • नहर सप्लाई के पास पशुओं के लिए खेली / जलकुंड का निर्माण

ग्राम पंचायत में, जीएलआर के पास कुछ खेलियाँ ही हैं। अपर्याप्त रख-रखाव और पानी की सही आपूर्ति नहीं होने के कारण, ये खेलियां जिस उद्देश्य से बनाई गई, उस उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर रही हैं। पशुओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए, इन संरचनाओं की मरम्मत करना ज़रूरी है। बिखरी हुई बस्तियों के पशुओं की पानी की मांग के लिए कुछ और खेलियां भी बनाई जाएंगी। इस मांग को पूरा करने के लिए, सौर्य ऊर्जा द्वारा क्षेत्र में ऐसे 20 वाटर पॉइंट्स का विकास किया जा रहा है। 

ख) पारंपरिक जल संचयन संरचना (वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रेक्चर) “नाड़ी” का नवीनीकरण

नाड़ियाँ, पश्चिमी राजस्थान में बनाई जाने वाली पारंपरिक जल संचयन संरचनाएं हैं जो बारिश के पानी को इकट्ठा करने के लिए बनाई जाती हैं, ताकि गर्मियों में व पानी की कमी के दिनों में इस कमी को पूरा किया जा सके। बनाई गई संरचना की जल गृहण क्षमता, बारिश की मात्रा और तीव्रता के अनुसार इन नाड़ियों में पानी इकट्ठा होता है जो कि बारिश के बाद 4 महीने से 1 साल तक काम आता है। यह एक प्राचीन जल संरक्षण परंपरा है, क्योंकि नाड़ियाँ इस क्षेत्र का सबसे महत्वपूर्ण जल स्रोत हैं, जिनका उपयोग मनुष्यों और पशुओं द्वारा समान रूप से पीने के लिए किया जाता है। हालाँकि, समय के साथ, इन नाड़ियों में गाद इकट्ठी हो जाती हैं, जिससे उनकी जल भंडारण क्षमता काफी कम हो जाती है। कंपनी द्वारा आसपास के पांच मौजूदा जल निकायों (नाड़ियों) का नवीनीकरण किया जा रहा है। सौर्य ऊर्जा की इस पहल से ग्राम पंचायत के 50,000 से अधिक लोगों के जीवन में बदलाव होगा।